Ek Se Sau Tak Sanskrit Mein Ginti


Ek Se Sau Tak Sanskrit Mein Ginti, नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक बार फिर हमारी Website Be RoBoCo में, आज एक बार हम फिर हाजिर हैं आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर जिसे हम Ek Se Sau Tak Sanskrit Mein Ginti के नाम से जानते हैं।


दोस्तो क्या आपने भी Sanskrit Mein Ek Se Sau Tak Ginti, Sanskrit Ki Ginti, 1 Se 50 Tak Ginti Sanskrit Mein और 1 Se 50 Tak Sanskrit Mein Ginti आदि के बारे में Search किया है और आपको निराशा हाथ लगी है ऐसे में आप बहुत सही जगह आ गए है, आइये Ek Se Sau Tak Sanskrit Mein Ginti, Sanskrit Mein 1 Se 50 Tak Ginti, Sanskrit Me Ginti, 1 Se 10 Tak Sanskrit Mein Ginti आदि के बारे में बुनियादी बाते जानते है।

 

संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत से पहले दुनिया छोटी-छोटी, टूटी-फूटी बोलियों में बटी थी जिनका कोई व्याकरण नहीं था और जिनका कोई भाषा कोष भी नहीं था।कुछ बोलियों ने संस्कृत को देखकर खुद को विकसित किया और वे भी एक भाषा बन गईं। अगर आज आप संस्कृत में गिनती की तलाश कर रहे हैं और पूरी 1 से लेकर 100 तक संस्कृत में गिनती जानना चाहते हैं और आसान भाषा में उसे याद रखना चाहते हैं तो आप बहुत सही जगह आ गए हैं लेख के अंत तक बने रहें, आपको संस्कृत में गिनती से जुड़ी सारी जानकारी मिलेगी चलिए शुरू करते हैं।

 

Table of Contents

Ek Se Sau Tak Sanskrit Mein Ginti


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1 Se 10 Tak Sanskrit Mein Ginti 

 

दोस्तो संस्कृत समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। 'संस्कृत' का शाब्दिक अर्थ है 'परिपूर्ण भाषा'। संस्कृत मूलतः देववाणी है अर्थात इसको देव ऋषियों के मुख से बोला जाता है।

 

1. एक One एकम् (Ekam)

2. दो Two द्वे (Dve)

3. तीन Three त्रीणि (Treeni)

4. चार Four चत्वारि (Chatvaari)

5. पांच Five पञ्च (Pancha)

6. छै Six षट् (Shat)

7. सात Seven सप्त (Sapta)

8. आठ Eight अष्ट (Ashta)

9. नौ Nine नव (Nava)

10. दस Ten दश (Dasha)

 

Sanskrit Ki Ginti

 

संस्कृत का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ ॠग्वेद है जो कम से कम ढाई हजार ईसापूर्व की रचना है तो आपको अंदाजा लग गया होगा कि इसका संस्कृत का इतिहास कितना पुराना और गौरवशाली रहा है।

 

11. ग्यारह Elelven एकादश (Ekaadasha)

12. बारह Twelve द्वादश (Dvaadasha)

13. तेरह Thirteen त्रयोदश (Trayodasha)

14. चौदह Fourteen चतुर्दश (Chaturdasha)

15. पंद्रह Fifteen पञ्चदश (Panchadasha)

16. सोलह Sixteen षोडश (Shodash)

17. सत्रह Seventeen सप्तदश (Saptadasha)

18. अठारह Eighteen अष्टादश (Ashtaadasha)

19. उन्नीस Nineteen नवदश (Navadasha)

20. बीस Twenty विंशतिः (Vinshatihi)

 

1 Se 50 Tak Ginti Sanskrit Mein 


संस्कृत के शुरुआती समय में इसकी कोई विशेष लिपि नहीं थी और यह पूर्णतः श्रुति स्मृति और व्याख्यान पर आधारित रही है यानि कि एक शिष्य ने अपने गुरू से सुना, फिर उसे याद रखा और उसी को भविष्य में अपने शिष्यों को व्याख्यायित किया।

 

21. इक्कीस Twenty One एकविंशतिः (Ekavimshatihi)

22. बाईस Twenty Two द्वाविंशतिः (Dvaavimshathi)

23. तेईस Twenty Three त्रयोविंशतिः (Trayovimshatihi)

24. चौबीस Twenty Four चतुर्विंशतिः (Chaturvimshatihi)

25. पच्चीस Twenty Five पञ्चविंशतिः (Panchavimshatihi)

26. छब्बीस Twenty Six षड्विंशतिः (Shadvimshatihi)

27. सत्ताईस Twenty Seven सप्तविंशतिः (Saptavimshatihi)

28. अट्ठाईस Twenty Eight अष्टाविंशतिः (Ashtaavimshatihi)

29. उनतीस Twenty Nine नवविंशतिः (Navavimshatihi)

30. तीस Thirty त्रिंशत् (Trishant)

 

Ek Se Sau Tak Sanskrit Mein Ginti


जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि शुरुआती समय में संस्कृत भाषा को केवल और केवल सुना बोला और व्याख्या जाता था लेकिन बाद में इस देववाणी भाषा को संग्रहित और संचित करने के लिए ब्राह्मण और खरोष्ठी जैसी लिपियों का प्रयोग किया जाने लगा और इसके बाद देवनागरी लिपि का विकास हुआ इस प्रकार वर्तमान में संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि ही मानी जाती है।

 

31. इकत्तीस Thirty One एकत्रिंशत् (Ekatrimshat)

32. बत्तीस Thirty Two द्वात्रिंशत् (Dvaatrimshat)

33. तैंतीस Thirty Three त्रयस्त्रिंशत् (Trayastrimshat)

34. चौंतीस Thirty Four चतुस्त्रिंशत् (Chatustrimshat)

35. पैंतीस Thirty Five पञ्चत्रिंशत् (Panchatrimshat)

36. छत्तीस Thirty Six षट्त्रिंशत् (Shat-Trimshat)

37. सैतीस Thirty Seven सप्तत्रिंशत् (Saptatrimshat)

38.अड़तीस Thirty Eight अष्टत्रिंशत् (Ashtatrimshat)

39. उनतालीस Thirty Nine नवत्रिंशत् (Navatrimshat)

40. चालीस Forty चत्वारिंशत् (Chatvaarimshat)

 

1 Se 50 Tak Sanskrit Mein Ginti 

 

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि वर्तमान समय में संस्कृत भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। देवनागरी लिपि वास्तव में संस्कृत भाषा के लिए ही बनी है। यह लिपि ऐसी है कि इसमें हर एक चिन्ह के लिए एक और केवल एक ही ध्वनि  है। देवनागरी में 13 स्वर और व्यंजन है।

 

41. इकतालीस Forty One एकचत्वारिंशत् (Ekachatvaarimshat)

42. बयालीस Forty Two द्विचत्वारिंशत् (Dvichatvaarimshat)

43. तैतालीस Forty Three त्रिचत्वारिंशत् (Trichatvaarimshat)

44. चवालीस Forty Four चतुश्चत्वारिंशत् (Chatushchatvaarimshat)

45. पैतालीस Forty Five पञ्चचत्वारिंशत् (Panchachatvaarimshat)

46. छियालीस Forty Six षट्चत्वारिंशत् (Shatchatvaarimshat)

47. सैतालीस Forty Seven सप्तचत्वारिंशत् (Saptachatvaarimshat)

48. अडतालीस Forty Eight अष्टचत्वारिंशत् (Ashtachatvaarimshat)

49. उनचास Forty Nine नवचत्वारिंशत् (Navachatvaarimshat)

50. पचास Fifty पञ्चाशत् (Panchaashat)

51. इकक्यावन Fifty One एकपञ्चाशत् (Ekapanchaashat)

52. बावन Fifty Two द्विपञ्चाशत् (Dvipanchaashat)

53. तिरेपन Fifty Three त्रिपञ्चाशत् (Tripanchaashat)

54. चौबन Fifty Four चतुःपञ्चाशत् (Chatuhupanchaashat)

55. पचपन Fifty Five पञ्चपञ्चाशत् (Panchapanchaashat)

56. छप्पन Fifty Six षट्पञ्चाशत् (Shatpanchaashat)

57. सत्तावन Fifty Seven सप्तपञ्चाशत् (Saptapanchaashat)

58. अट्ठावन Fifty Eight अष्ट्पञ्चाशत् (Ashtapanchaashat)

59. उनसठ Fifty Nine नवपञ्चाशत् (Navapanchaashat)

60.  साठ Sixty षष्टिः (Shashtihi)

 

Sanskrit Mein Ek Se Sau Tak Ginti

 

संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। बहुत प्राचीन काल से ही अनेक व्याकरणाचार्यों ने संस्कृत व्याकरण पर बहुत कुछ लिखा है लेकिन पाणिनि का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है। उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा के व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है।

 

61. इकसठ Sixty One एकषष्टिः (Ekashashtihi)

62. बासठ Sixty Two द्विषष्टिः (Dvishashtihi)

63. तिरेसठ Sixty Three त्रिषष्टिः (Trishashtihi)

64. चौसठ Sixty Four चतुःषष्टिः (Chatuhushashtihi)

65. पैसठ Sixty Five पञ्चषष्टिः (Panchashashtihi)

66. छियासठ Sixty Six षट्षष्टिः (Shatshashtihi)

67. सडसठ Sixty Seven सप्तषष्टिः (Saptashashtihi)

68. अडसठ Sixty Eight अष्टषष्टिः (Ashtashashtihi)

69. उनहत्तर Sixty Nine नवषष्टिः (Navashashtihi)

70. सत्तर Seventy सप्ततिः (Saptatihi)

71. इकहत्तर Seventy One एकसप्ततिः (Ekasaptatihi)

72. बहत्तर Seventy Two द्विसप्ततिः (Dvisaptatihi)

73. तिहत्तर Seventy Three त्रिसप्ततिः (Trisaptatihi)

74. चौहत्तर Seventy Four चतुःसप्ततिः (Chatuhusaptatihi)

75. पिचत्तर Seventy Five पञ्चसप्ततिः (Panchasaptatihi)

76. छियत्तर Seventy Six षट्सप्ततिः (Shatsaptatihi)

77. सतत्तर Seventy Seven सप्तसप्ततिः (Saptasaptatihi)

78. अठत्तर Seventy Eight अष्टसप्ततिः (Ashtasaptatihi)

79. उनयासी Seventy Nine नवसप्ततिः (Navasaptatihi)

80. अस्सी Eighty अशीतिः (Asheetihi)

 

Sanskrit Me Ginti

 

81. इक्यासी Eighty One एकाशीतिः (Ekaasheetihi)

82. बयासी Eighty Two द्व्यशीतिः (Dvyasheetihi)

83. तिरासी Eighty Three त्र्यशीतिः (Tryasheetihi)

84. चौरासी Eighty Four चतुरशीतिः (Chaturasheetihi)

85. पिच्चासी Eighty Five पञ्चाशीतिः (Panchaasheetihi)

86. छियासी Eighty Six षडशीतिः (Shadasheetihi)

87. सत्तासी Eighty Seven सप्ताशीतिः (Saptaasheetihi)

88. अट्ठासी Eighty Eight अष्टाशीतिः (Ashtaasheetihi)

89. नवासी Eighty Nine नवाशीतिः (Navaasheetihi)

90. नब्बे Ninety नवतिः (Navatihi)

91. इक्यानवे Ninety One एकनवतिः (Ekanavatihi)

92. बानवे Ninety Two द्विनवतिः (Dvinavatihi)

93. तिरानवे Ninety Three त्रिनवतिः (Trinavatihi)

94. चौरानवे Ninety Four चतुर्नवतिः (Chaturnavatihi)

95. पिचानवे Ninety Five पञ्चनवतिः (Panchanavatihi)

96. छियानवे Ninety Six षण्णवतिः (Shannavatihi)

97. सतानवे Ninety Seven सप्तनवतिः (Saptanavatihi)

98. अठानवे Ninety Eight अष्टनवतिः (Ashtanavatihi)

99. निन्यानवे Ninety Nine नवनवतिः (Navanavatihi)

100. एक सौ A Hundred शतम् (Shatam)

 

संस्कृत बोलना और लिखना कैसे सीखे

 

दिल्ली में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नामक विश्वविद्यालय में आप जाकर 15 दिन की ट्रेनिंग ले सकते हैं या फिर आप अपने नगर में संस्था "संस्कृत भारती" से संपर्क कर सकते हैं। वहां से आपको संस्कृत बोलने तथा लिखने का अभ्यास हो जाएगा और मात्र न्यूनतम 10 दिन से लेकर अधिकतम 6 महीने में आप संस्कृत भाषा के ज्ञाता बन सकते हैं।

 

संस्कृत सीखने के लिए मेरे विचार में आपको दो चीजें प्रमुखता से आनी चाहिए।

 

प्रथम - धातु रुप या क्रिया  जैसे गम्(जाना), लिख्(लिखना), खाद्(खाना), अस्(होना)....।

 

द्वितीय - शब्द रुप। जैसे- अहम्(मैं), त्वम्(तुम), अयम्(यह), राम, पिता...।

 

संस्कृत में गिनती FAQs

 

200 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

200 - द्विशत Or द्वेशते

 

300 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

300 - त्रिशत

 

400 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

400 - चतुःशत

 

500 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

500 - पञ्चशत

 

600 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

600 - षट्शत

 

700 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

700 - सप्तशत

 

800 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

800 - अष्टशत

 

900 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

900 - नवशत

 

1000 को संस्कृत में क्या कहते है?

 

1,000 - सहस्र Or दशशत

 

दो हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


2,000 - द्विसहस्र

 

तीन हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


3,000 - त्रिसहस्र

 

चार हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


4,000 - चतःसहस्र

 

पांच हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


5,000 - पञ्चसहस्र

 

छै हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


6,000 - षट्सहस्र

 

सात हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


7,000 - सप्तसहस्र

 

आठ हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


8,000 - अष्टसहस्र

 

नौ हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


9,000 - नवसहस्र

 

दस हजार को संस्कृत में क्या कहते है?


10,000 - अयुत

 

एक लाख को संस्कृत में क्या कहते है?

 

1,00,000 - लक्ष

 

दस लाख को संस्कृत में क्या कहते है?


10,00,000 - प्रयुत

 

संस्कृत में कोटि का मतलब कितना होता है?

 

1,00,00,000 - कोटि

 

Counting In Sanskrit

 

10,00,00,000 - अर्बुद

1,00,00,00,000 - अब्ज

10,00,00,00,000 - खर्व

1,00,00,00,00,000 - निखर्व

10,00,00,00,00,000 - महापद्म

1,00,00,00,00,00,000 - शङ्कु

10,00,00,00,00,00,000 - जलधि

1,00,00,00,00,00,00,000 - अन्त्य

10,00,00,00,00,00,00,000 - मध्य

1,00,00,00,00,00,00,00,000 - परार्ध

 

संस्कृत में किराना दुकान का साइन बोर्ड कैसे लिखेंगे?

 

कामतानाथ नारायणकः आपणः।  अत्र गृहस्थोपयोगी सर्वस्तुनि ब्रह्मां वर्तते।  अत्र सर्वेषा आइटम भावाः रेटानि सन्ति।  धन्यवाद!

 

इसका हिंदी अर्थ है कि कामतानाथ किराना दुकान जहां पर घर में उपयोग की जाने वाली सभी वस्तुओं उपलब्ध हैं और सभी वस्तुएं उचित दाम पर मिलेगी।


संस्कृत भाषा की लिपि क्या है?

 

संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। देवनागरी एक आधुनिक लिपि है जिसमें कई भाषाएँ लिखी जाती है जैसे कि संस्कृत, हिन्दी, मराठी, नेपाली, कोंकणी, आधुनिक पाली इत्यादि। 

 

आपने क्या सीखा

 

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लेख के अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।


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Gaurav Sahu
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