Ramayan Story In Hindi | सम्पूर्ण रामायण कहानी हिंदी में


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रामायण सबसे लोकप्रिय हिंदू महाकाव्यों में से एक है और इसमें एक राजकुमार की कहानी बताई गई है जो अपने राज्य से निर्वासित कर दिए गए और चौदह साल तक जंगल में रहने के लिए मजबूर हो गए। 


इस दौरान कई सारी मुसीबतें आई जैसे कि राम जी की पत्नी सीता का राक्षस रावण द्वारा अपहरण कर लेना, राम का उनको बचाने के लिए जाना आदि। आप लेख के अंत तक बने रहे आपको सम्पूर्ण रामायण की कहानी से संबंधित पूरी जानकारी मिलेगी।

 

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Ramayan Story In Hindi | सम्पूर्ण रामायण कहानी हिंदी में


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Full Ramayan In Hindi

 

रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि के द्वारा की गई थी। इस महाकाव्य को मूल रूप 6 भागो में बांटा गया है।

 

  • बालकांड
  • अयोध्या कांड
  • अरण्यकांड
  • किष्किंधा कांड
  • सुंदरकांड
  • युद्ध कांड

 

तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में भी यहीं 6 भाग है लेकिन रामचरितमानस में युद्ध कांड को लंका कांड कहा गया है और उत्तर काण्ड को बाद में जोड़ा गया है। 

 

इसप्रकार रामायण की पूरी कथा बहुत बडी है लेकिन आज हम आपको इस महाकाव्य की एक संक्षिप्त परन्तु पूरी रूप रेखा प्रस्तुत कर रहे है जिससे आप रामायण की कहानी को पूरी तरह से समझ पाओगे और जान पाओगे कि आखिर क्यो रामायण के मुख्य नायक राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहा जाता है।

 

Ramayan Story In Hindi

 

1. रामायण का पहला कांड - बालकाण्ड

 

यह पूरी रामायण का सबसे बड़ा कांड है जिसके अंतर्गत निम्न बातो को समावेशित किया गया है।

 

  • राम जन्म का कारण
  • भगवान के अवतार
  • ऋषि विश्वामित्र के साथ वन गमन
  • यज्ञ रक्षा से लेकर राम विवाह
  • बारात का अयोध्या आगमन।

 

राम जन्म का कारण

 

राम के जन्म हेतु एक दोहा प्रचलित है जोकि इस प्रकार है।

 

राम जनम के हेतु अनेका। परम विचित्र एक तें एका ।।

जब जब होई धरम की हानि । बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी ।।

तब तब प्रभु धरि विविध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ।।

 

उपरोक्त दोहे के अनुसार जब-जब धर्म का ह्रास (हानि) होती है और अभिमानी राक्षस प्रवृत्ति के लोग बढ़ने लगते हैं तब तब  प्रभु विभिन्न प्रकार के शरीर धारण करते है और सज्जन लोगो की पीड़ाओ को हरते हैं।

 

राम के जन्म की कहानी

 

महाकाव्य रामायण के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा थी लेकिन किसी को भी मातृत्व सुख प्राप्त नहीं था। पुत्र प्राप्ति हेतु राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने कमेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। यज्ञ पूरा होने के उपरांत दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी गई। 

 

यज्ञ के प्रभाव से तीनों रानियां गर्भवती हो गयीं और कौशल्या ने राम को, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। 

 

भगवान के अवतार

 

भगवान राम जोकि भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, का जन्म धरती पर पाप का संहार करने हुआ था। जिन्होने आगे चलकर रावण का वध किया।

 

जब चारो राजकुमार थोड़े बड़े हुए तब ऋषि विश्वामित्र का उनके महल आगमन हुआ और उन्होने राम और लक्ष्मण को अपने साथ लेकर वन की ओर गमन किया जहां पर इन दोनों ने अनेकों राक्षसो का वध किया जोकि ऋषि मुनि को यज्ञ जैसे धार्मिक प्रतिष्ठानों को करने से रोकते थे।

 

इसके बाद वे अपने गुरू ऋषि विश्वामित्र के साथ राजा जनक द्वारा अपनी पुत्री "सीता" के विवाह हेतु आयोजित स्वयंवर में हिस्सा लेने पहुंचे जहां पर उन्होन शिव धनुष के ऊपर प्रत्यंचा चढ़ा कर सीता से विवाह किया और अपने घर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया।

 

2. रामायण का दूसरा कांड - अयोध्या कांड

 

अयोध्या कांड के अंतर्गत निम्न बातो को समावेशित किया गया है।

 

  • श्री राम सीता और अन्य सभी भाइयो का अयोध्या में सुख पूर्वक रहना।
  • श्री राम के राज्याभिषेक होना।
  • श्री राम का वनवास की ओर प्रस्थान करना।
  • भरत जी का राम से वनवास छोड़कर वापस से राज्य को संभालने के लिए अनुरोध करना।
  • राम जी के आदेश से भरत का अयोध्या में उनके प्रतिनिधि बनकर राज करना।

 

अयोध्या पहुंचने के बाद सभी लोग प्रेम भाव के साथ रह रहे थे। इसी बीच राजा दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करने की योजना बनाई। जब यह बात कैकयी की दासी मंथरा को पता चली तो उसने कैकयी को सलाह दी कि आप कोपभवन में चले जाओ और जब महाराज आए तो आप उनसे भरत को राजा बनाने और राम को चौदह वर्षों के लिये वनवास में भेजे जानें का वचन मांग लेना।

 

ऊपर कहे अनुसार ही कैकयी ने कार्य किया और राम को चौदह वर्षों का वनवास हो गया। उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण ने भी वन की ओर प्रस्थान किया।

 

पुत्र वियोग में राजा दशरथ का स्वर्गवास हो गया। भरत जोकि अपने ननिहाल में थे, वापस आने पर उनको जब सारी बातो का पता चला तब वह अपनी माता कैकेयी की कुटिलता की बहुत भर्तस्ना की और राज्य को अस्वीकार कर दिया।

 

गुरुजनों के आज्ञानुसार दशरथ की अन्त्येष्टि क्रिया करने के बाद बड़े भाई राम को वापस लाने के लिए चित्रकूट की ओर प्रस्थान किया लेकिन राम ने पिता की आज्ञा का पालन और रघुवंश की रीति का हवाला देते हुए वापस आने से इंकार कर दिया तब भरत उनकी चरण पादुका को ले आए और उन्हे  राज सिंहासन पर विराजित कर शासन कार्य देखने लगे।

 

3. रामायण का तीसरा कांड - अरण्यकाण्ड

 

अरण्यकाण्ड का मतलब होता है वन या जंगल या एकांत तो उसके नाम से ही थोड़ा अंदाजा लग सकता है कि अरण्यकाण्ड के अंदर कुछ ऐसा हुआ होगा जिसमें जिसका हिस्सा वन या जंगल या एकांत रहा होगा। 

 

अरण्यकाण्ड (Aranya Kand) के अंदर निम्न बातों का समावेश किया गया है।

 

  • श्री राम सीता लक्ष्मण का विभिन्न ऋषियों से मिलना।
  • राक्षस वध की प्रतिज्ञा ।
  • शूर्पणखा के नाक और कान काटने की घटना।
  • सीता हरण तक का प्रसंग।

 

इस कांड के अंतर्गत राम का अत्रि मुनि, शरभंग मुनि और अगस्त्य मुनि आदि से भेंट करते हुये दण्डक वन पहुंचे जहां पर उनकी भेंट जटायु से हुई। 

 

कुछ और आगे जाने पर उनको ऋषियों के अवशेष मिले जिनको देखकर उन्होने राक्षसों का वध करने का शपथ लिया। इसके बाद वह पंचवटी पहुंचे और उसे अपना निवास स्थान बनाया।

 

पंचवटी में ही रावण की बहन शूर्पणखा राम के पास अपने प्रेम प्रसंग का प्रस्ताव लेकर आई तो उन्होने उसे लक्ष्मण के पास भेज दिया और लक्ष्मण ने नाक और कान काट लिये। शूर्पणखा ने जाकर अपने भाई रावण से शिकायत की तब रावण ने साधु का वेश बनाकर सीता हरण करने का फ़ैसला लिया। 

 

जब रावण सीता को लंका जा रहा था तब रास्ते में जटायु ने सीता को बचाने के लिये रावण से युद्ध किया और रावण ने उसके पंख काट दिए जिसकी वजह से वह नीचे ज़मीन पर आ गिरा।

 

इधर सीता को ना पाकर राम अत्यधिक दुखी हुए और सीता की खोज के लिए निकले। रास्ते में उन्हें जटाऊ मिला, उसने उनको बताया कि रावण ने उसकी यह दुर्दशा की है और वह उनको दक्षिण की दिशा की ओर ले गया है।

 

सीता की खोज के दौरान ही प्रभु श्री राम शबरी के आश्रम जा पहुंचे जहां पर उन्होने शबरी के जूठे बेरों को खाया।

 

4. रामायण का चौथा कांड - किष्किंधा कांड

 

किष्किंधा कांड के अंदर निम्न बातों का समावेश किया गया है।

 

  • सुग्रीव से मित्रता और बाली वध
  • सीता खोज की व्यवस्था वानरों द्वारा

 

सीता की खोज में श्री राम ऋष्यमूक पर्वत के निकट आ गये, जहां पर सुग्रीव रहता था। सुग्रीव, अपने बड़े भाई बालि के डर से राजपाट को छोड़कर वहां पर निवास कर रहा था। राम और लक्ष्मण को आता देख उसने हनुमान जी को उनके बारे में पता लगाने को बोला।

 

इसप्रकार श्री राम और सुग्रीव में मित्रता हो गई। सुग्रीव ने अपने भाई बालि के द्वारा किए गए अत्याचार के विषय में बताया। श्री राम ने बालि का वध किया तब सुग्रीव ने अपनी वानर सेना को सीता जी को खोजने के लिए भेजा। इसप्रकार ज्ञात हुआ कि रावण ने सीता जी को समुद्र के पार लंका की अशोकवाटिका में रखा है।

 

5. रामायण का पांचवां कांड - सुन्दर कांड

 

सुन्दर कांड के अंदर निम्न बातो को समावेशित किया गया है।

 

  • हनुमान जी का समुद्र लांघना
  • लंका में सीता जी की खोज करना
  • लंका दहन 
  • वापस समुद्र तट पर आकर श्री राम लक्ष्मण को जानकी माता की सूचना देना
  • वानर सेना की तैयारी
  • रावण को मंदोदरी, विभीषण और मलयवन्त के सुझाव

 

हनुमान जी ने भगवान श्री राम की अंगूठी लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में आने वालीं अनेकों बढ़ाओ को पार करते हुए हनुमान जी अशोकवाटिका में पहुँचे और सीता माता को राम जी के द्वारा दी गई अंगूठी को दिखाया। इस बीच उन्होन पेट पूजा के लिए अशोकवाटिका में खूब उत्पात मचाया। जिसपर मेघनाथ ने हनुमान को नागपाश में बांध कर रावण की सभा में पेश किया। रावण ने हनुमान जी की पूँछ में  आग लगाने का हुक्म दिया। इस पर हनुमान जी ने लंका का दहन कर दिया।

 

लंका दहन के बाद उन्होने सीता जी से उनका चूड़ामणि लिया और राम के पास पहुंचे और पूरी जानकारी दी। रावण के भाई विभीषण ने रावण को समझाने की कोशिश की कि सीता को लौटा दिया जाए लेकिन वह नहीं माना और विभीषण को लंका से निकाल दिया। तब विभीषण भगवान राम की शरण में आ गया। 

 

इधर श्री राम वानर सेना के साथ समुद्र के किनारे पर पहुंच गए और समुद्र से निकलने का रास्ता मांगा लेकिन कई दिन गुजरने के बाद भी रास्ता ना मिलने को श्री राम को क्रोध आ गया और उन्होंने समुद्र को सुखाने की कोशिश की। तब समुद्र देव आए और उन्होंने बोला कि नल और नील जो कि उनकी वानर सेना के सदस्य हैं उनके द्वारा पत्थरों को पर राम नाम लिखकर समुद्र में डालने से पत्थर पानी में नहीं डूबेंगे और एक सेतु का निर्माण हो जाएगा।

 

हनुमान जी की महिमा हनुमान चालीसा में तुलसीदास के द्वारा लिखी गई एक लाइन से पता चलती है।

 

अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता, असबर दीन्ह जानकी माता।

 

यानि कि हनुमान जी आठों सिद्धियों(अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व व वशित्व) के साथ-साथ नवनिधियों (महापद्म, पद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुंद, नील व खर्व) के मालिक थे।

 

6. रामायण का छठवां कांड - लंकाकाण्ड

 

इस कांड में निम्न बातो को समाहित किया गया है।

 

  • समुद्र पर श्रीराम सेतु का निर्माण
  • लंका में शांति हेतु प्रस्ताव अंगद से
  • वानर सेना की चढ़ाई
  • कुम्भकर्ण, मेघनाद, अतिकाय और रावण आदि राक्षसों का वध
  • विभीषण का राज्याभिषेक
  • श्री सीता राम लक्ष्मण का पुष्पक विमान से अयोध्या प्रस्थान 

 

नल-नील दोनों भाइयों ने वानर सेना की मदद से समुद्र पर पुल तैयार किया और वानर सेना ने समुद्र पार करके अपना डेरा डाल दिया। अंगद राम के दूत बन कर लंका में रावण के पास गये और उसे राम की शरण में आने का संदेश दिया किन्तु रावण ने नहीं माना।

 

इसप्रकार युद्ध आरम्भ हो गया। जिसमे मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे वीर योद्धाओं का वध हो गया। राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। विभीषण ने राम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत है यानी कि आपको सबसे पहले बाण मारकर उसकी नाभि में मौजूद अमृत को सिखाना होगा तभी जाकर रावण का वध होगा राम ने ऐसा ही किया और रावण का वध हुआ।

 

विभीषण को लंका का राज्य सौंप कर राम सीता और लक्ष्मण ने पुष्पकविमान पर चढ़ कर अयोध्या के लिये प्रस्थान किया।

 

Note :- मूल वाल्मिकी रामायण में उत्तर काण्ड नहीं है। केवल युद्ध काण्ड सहित छः काण्ड हैं। उत्तर काण्ड को बाद में जोड़ा गया है।

 

7. रामायण का सातवां कांड - उत्तरकाण्ड

 

इस कांड में निम्न बातो को समाहित किया गया है।

 

  • भरत राम मिलन
  • राम राज्याभिषेक
  • हनुमान को उपदेश
  • अमरत्व प्राप्ति
  • नारद लीला
  • शिव पार्वती
  • गरुड़ कागभिषुंडि
  • स्तुति
  • आरती

 

श्री राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के अयोध्या पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ। भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का पुनः राज्याभिषेक हुआ। सीता के चरित्र पर आरोप लगाया गया जिसपर उनको अग्नि परीक्षा देनी पड़ी जिसके बाद वह धरती में समा गयीं।

 

Ramayan History In Hindi 

 

रामायण एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ जो पूर्ण रूप से हमारे कई हजार वर्षों की धनी सनातनी और वैदिक परंपरा को हम सभी के समक्ष रखकर प्रेरित करता आया है। हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कार के उन सारे आयामों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से इसमें चौपाई के माध्यम से समझाया गया है। मेरी निजी राय है हमें हमारे युवा पीढ़ियों को अपने Acedemic Books के साथ साथ इस तरीके के महानतम और पवित्र ग्रंथों की पढ़ाई भी अवश्य करनी चाहिए।

 

आपने क्या सीखा

 

उपरोक्त लेख Ramayan Story In Hindi | सम्पूर्ण रामायण कहानी हिंदी में के माध्यम से मैंने आपको Ramayan Hindi Mein, Ramayan Ki Kahani, Ramayan Katha In Hindi और Ramayan Dialogues In Hindi Pdf, Full Ramayan In Hindi, Ramayan Full Story, Ramayan History In Hindi और रामायण की कथाएं आदि के बारे में बताया है।

 

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लेख के अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

Gaurav Sahu
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