Krishna Story In Hindi | भगवान श्री कृष्ण की कहानियां


Krishna Story In Hindi | भगवान श्री कृष्ण की कहानियां, नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक बार फिर हमारी Website Be RoBoCo में, आज एक बार हम फिर हाजिर हैं आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर जिसे हम Krishna Story In Hindi | भगवान श्री कृष्ण की कहानियां के नाम से जानते हैं।


दोस्तो क्या आपने भी Radha Krishna Story In Hindi, Shri Krishna Ki Kahani, Lord Krishna Stories In Hindi और Krishna Bhagwan Ki Kahani आदि के बारे में Search किया है और आपको निराशा हाथ लगी है ऐसे में आप बहुत सही जगह आ गए है, आइये Krishna Ji Ki Kahani, Bal Krishna Stories In Hindi, Little Krishna Story In Hindi और Krishna Story For Kids In Hindi ​आदि के बारे में बुनियादी बाते जानते है।


कृष्ण सबसे लोकप्रिय और श्रद्धेय हिंदू देवताओं में से एक हैं।  उन्हें विष्णु का अवतार माना जाता है और उन्हें अक्सर बांसुरी बजाते हुए एक युवा लड़के के रूप में चित्रित किया जाता है।  कृष्ण अपने प्रेम और चंचलता के साथ-साथ अपनी बुद्धि और शक्ति के लिए जाने जाते हैं। उन्हें योग की दिव्य कला का स्वामी भी कहा जाता है।


अगर आप भगवान श्री कृष्ण के बारे में अधिक जानना चाहते है तो लेख को अंत तक पढ़े क्योंकि हमने उनसे जुड़ी सभी कहानियों का संग्रह यहां पर किया है जोकि बहुत ही सहज और सरल है, चलिए शुरू करते है।

 

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Krishna Story In Hindi | भगवान श्री कृष्ण की कहानियां


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युगों से, विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोग कृष्ण भगवान को सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी मानते है। उनको दुनिया भर में लाखों हिंदुओं द्वारा पूजा जाता है और ऐसा माना जाता है कि वह आशा और खुशी के प्रतीक है। ऐसे में सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि भगवान श्री कृष्ण कौन है?

 

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भगवान श्री कृष्ण कौन है?

 

अधिकांश लोगो का यह प्रश्न होता है कि आखिर भगवान श्री कृष्ण कौन है? श्री कृष्ण सर्वोच्च सत्ता, परम वास्तविकता और परम सत्य हैं। वह सभी चीजों के निर्माता, संरक्षक और संहारक है।

 

श्री कृष्ण वह है जो सभी विवरण और समझ से परे है। श्री कृष्ण वह है जो समय, स्थान और कार्य-कारण से परे है। श्री कृष्ण वह है जो सभी द्वैत से परे है और जो सभी अस्तित्व के स्रोत है।

 

भगवान श्रीकृष्ण महाभारत, भगवद गीता और भगवद पुराण जैसे महान ग्रंथों का सबसे परम पूजनीय चरित्र हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार है। श्री कृष्ण जी को महाभारत के दौरान युद्ध के मैदान में अर्जुन को उपदेश देने वाले सारथी के रूप में चित्रित किया गया है।

 

श्री कृष्ण का अवतरण मानव जाति को सीख देने के लिए हुआ था कि धर्म और प्रेम का मतलब क्या होता है? किस प्रकार के कर्म मनुष्य को करने चाहिए आदि।

 

भगवान श्री कृष्ण नीलवर्ण के क्यों हैं?

 

ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण का अवतरण हुआ था तो वह श्याम वर्ण के थे, लेकिन वह नील वर्ण के कैसे हो गए इसके लिए एक प्रसिद्ध कथा है जोकि इसप्रकार है।

 

बचपन में श्रीकृष्ण अपने ग्वाल बालों के साथ गेंद खेल रहे थे और उनकी गेंद यमुना नदी में चली गई। सभी ग्वाले जानते थे थे कि इस नदी पर विषधर कालिया नाग रहता है जिसके  कारण यमुना का जल भी विषैला हो गया और गेंद को उठाकर लाने के लिए कोई भी तैयार ना हुआ। इतने में भगवान श्री कृष्ण यमुना में कूद गए।

 

कुछ ग्वाले भागकर गोकुल मे यशोदा मैया और नन्द बाबा के पास पहुँच जाते है और उन्हे पूरा वृतांत सुनात है और जब तक वो लोग पहुंचते है तब तक कृष्ण कालिया नाग को हराकर उसे मठ देते है और कालिया नाग उनसे अपने बचने हेतु अनुरोध करने लगता है।

 

भगवान श्री कृष्ण और कालिया नाग के द्वंद के दौरान विषैला विष कृष्ण के ऊपर पड़ जाता है जिससे वह श्याम वर्ण से नीले वर्ण के हो जाते है। बाद मे कृष्ण कालिया नाग को अभय दे देते है और उसे स्थान बदलने को कहते है। कालिया आज्ञा का पालन करते हुए दूसरी जगह चला जाता है और फिर सभी ब्रज वासी यमुना के जल को प्रयोग करने लगते है।

 

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आपने सुना होगा कि भगवान श्री कृष्ण की 16008 गोपियां थी लेकिन इसके पीछे का सत्य आज हम आपको बता रहे है कि कैसे भगवान श्री कृष्ण की मुलाकात इतनी सारी गोपियों से हुई।

 

श्री कृष्ण भगवान की कितनी गोपियां थीं?

 

दोस्तो श्री कृष्ण भगवान की 16008 गोपियां थी। इनमें से आठ उनकी पटरानी थी जिनके साथ उन्होंने विवाह किया था। शेष 16 हजार गोपियों से उन्होंने विवाह नहीं किया था लेकिन उन्हें श्रीकृष्ण की पत्नी होने के समान दर्जा दिया जाता था जिसके संबंध में भागवतपुराण में एक कहानी का वर्णन किया गया है जोकि इस प्रकार है।

 

भागवत पुराण के अनुसार 16000 गोपियां वास्तव में राजकुमारियां थी जिन्हें नरकासुर नाम के राक्षस ने विवाह करने के उद्देश्य से बंदी बना रखा था। श्री कृष्ण भगवान ने नरकासुर के साथ युद्ध करके उन सभी को मुक्त कराया। एक राक्षस की कैद में इतने लंबे समय तक रहने के कारण कोई भी राजकुमार उनके साथ विवाह नहीं करना चाहता था। जिस कारण से श्री कृष्ण ने उन्हें अपनाया और अपनी पत्नी रूप में रखा।

 

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दोस्तो आपने अलग अलग तरह के शंखों को जरूर देखा होगा और एक शंख भगवान श्री कृष्ण के पास था जोकि शक्ति और चमत्कार से परिपूर्ण था जिसका वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। उस शंख का नाम था पाञ्चजन्य शंख जोकि विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का प्रतीक था।

 

भगवान श्री कृष्ण के पाञ्चजन्य शंख का क्या रहस्य है?

 

ऐसा माना जाता है कि पाञ्चजन्य शंख का उद्गम समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। अपने गुरु के पुत्र को राक्षस के द्वारा उठाकर ले जाने पर श्री कृष्ण उसे लेने दैत्य नगरी पहुंचे जहां पर उन्हे शंख पर आसीन राक्षस से मुकाबला करना पड़ा। उसको मारकर उन्होन शंख अपने पास रख लिया। बाद में पता चला कि गुरू पुत्र तो यमपुरी चला गया है तो वे यमपुरी पहुंचे लेकिन उनको प्रवेश करने को नहीं मिला तब उन्होन शंख से नाद किया जिसकी ध्वनि इतनी तीव्र थी कि पूरा यमलोक हिलने लगा।

 

यमराज ने खुद आकर श्रीकृष्ण को उनके गुरु पुत्र की आत्मा को सौप दिया। धरती पर आकर उन्होने गुरु पुत्र के साथ शंख को भी अपने गुरू को समर्पित किया। गुरु ने पाञ्चजन्य शंख को पुन: श्रीकृष्ण को देते हुए कहा कि यह तुम्हारे लिए ही है। इस शंख की ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी। इसकी ध्वनि सिंह गर्जना से भी कहीं ज्यादा भयानक थी। इस शंख को विजय व यश का प्रतीक माना जाता है। इसमें 5 अंगुलियों की आकृति होती है।

 

भगवान श्री कृष्ण को रणछोड़ क्यों कहते हैं?

 

राजा कालयवन जोकि यवन देश का राजा था उसको भगवान शंकर से वरदान प्राप्त था कि न तो कोई चंद्रवंशी और न ही कोई सूर्यवंशी उसको युद्ध में हरा सकता है। उसे न तो कोई हथियार मार सकता है और न ही कोई अपने बल से हरा सकता है। ऐसे में इसका और भगवान श्री कृष्ण का युद्ध हुआ। श्री कृष्ण उसके इस वरदान से अवगत थे।

 

युद्ध के दौरान जब कालयवन भगवान् श्रीकृष्ण की ओर दौड़ा, तब वे दूसरी ओर मुंह करके रणभूमि से भाग चले और उनको  पकडऩे के लिए कालयवन उनके पीछे-पीछे दौडऩे लगा। श्रीकृष्ण भागते भागते एक अंधेरी गुफा में पहुंच गए। उस गुफा में पहले से ही इक्ष्वाकु नरेश मांधाता के पुत्र और दक्षिण कोसल के राजा मुचकुंद गहरी नींद में सोए हुए थे। दरअसल, उन्होंने असुरों से युद्ध कर देवताओं को जीत दिलाई थी। लगातार कई दिनों तक युद्ध करने की वजह से वह थक गए थे, इसलिए भगवान इंद्र ने उनसे सोने का आग्रह किया और उन्हें एक वरदान भी दिया, जिसके मुताबिक जो कोई भी उन्हें नींद से जगाएगा, वह जलकर भस्म हो जाएगा।

 

राजा मुचकुंद को मिले वरदान की बात श्रीकृष्ण को पता थी, इसलिए वो कालयवन को अपने पीछे-पीछे उस गुफा तक ले आए, जहां राजा मुचकुंद सोए हुए थे। श्रीकृष्ण ने कालयवन को भ्रमित करने के लिए अपना पीतांबर राजा मुचकुंद के ऊपर डाल दिया। राजा मुचकुंद को देख कर कालयवन को लगा कि वह श्रीकृष्ण ही हैं और उससे डर कर अंधेरी गुफा में छुप कर सो गए हैं। इसलिए उसने श्रीकृष्ण समझ कर राजा मुचकुंद को ही नींद से उठा दिया। अब राजा मुचकुंद जैसे ही नींद से उठे, कालयवन वहीं जल कर भस्म हो गया।

 

भगवान श्री कृष्ण की कहानियां

 

भगवान श्री कृष्ण के 10 अनमोल वचन

 

1. चक्रव्यूह रचने वाले अपने ही होते हैं कल भी यही सच था और आज भी यही सच है।

 

2. हर काम का फल मिलता है। "इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है"।

 

3. जीवन में अहंकार भी आवश्क है जब बात अधिकार, चरित्र, और सम्मान की हो।

 

4. जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए यह शत्रु के समान कार्य करता है।

 

5. लोगों को भरपूर सम्मान दो। इसलिए नहीं कि उनका अधिकार है बल्कि इसलिए कि आपके पास संस्कार है।

 

6. खाली हाथ आए और खाली हाथ वापस चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का या परसों किसी और का होगा, तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो।

 

7. जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।

 

8. तेरे गिरने से तेरी हार नहीं, तू आदमी है अवतार नही। गिर, उठ, चल, फिर भाग क्योंकि ये जीवन संक्षिप्त है इसका कोई सार नही।

 

9. जो चीज हमारे हाथ में नहीं है,उनके विषय में चिंता करके कोई फायदा नहीं है।

 

10. क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।

 

भगवान श्री कृष्ण की सोलह कलाओं के क्या नाम हैं?

 

  • पवित्रता
  • मधुरता
  • हर्षितमुखता
  • संतष्टा
  • परोपकार
  • नियमित्ता
  • उदारता
  • नम्रता
  • प्रेम
  • क्षमाशील
  • शुभ भावना
  • सहनशीलता
  • ईमानदार
  • आज्ञाकारी
  • रमणीकता
  • धैर्यता

 

आपने क्या सीखा

 

उपरोक्त लेख Krishna Story In Hindi | भगवान श्री कृष्ण की कहानियां के माध्यम से मैंने आपको Radha Krishna Story In Hindi, Shri Krishna Ki Kahani, Lord Krishna Stories In Hindi और Krishna Bhagwan Ki Kahani, Krishna Ji Ki Kahani, Bal Krishna Stories In Hindi, Little Krishna Story In Hindi और Krishna Story For Kids In Hindi ​आदि के बारे में बताया है।

 

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लेख के अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

Gaurav Sahu
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